Dear Papa,
Papa, today is the 3,212 day and seventh Diwali "without you", and 968 days and third Diwali without Mummy. On her last Diwali in 2015, on mummy's wish and as usual Anshu's insistence, after sixteen years, I had decorated our entire house with ladies, the way we used to do since our Janak Puri days from 1979 and up to 1999. Pankaj and Anshu, as usual, had put divas yesterday after the puja. And will decorate candles and divas in the evening today.
But, this time without you Papa and Mummy, we have not celebrated any festival, and today, also just for shagun, I've lighted Mummy's mandir with "Red Bulb" as she wished, and also placed ladies on the mandir, in your room, puja room, and every else inside out the house. No more celebrations without you Mummy, Papa.
Happy Diwali Papa, Mummy
Mahesh ji, Vishnu ji, Brahma ji |
Laxmi ji, Ganesh ji, Saraswati ji |
SRI LAXMI JI KI AARTI
आरती श्री लक्ष्मी जी की
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता. ॐ...
उमा, रमा, ब्राह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता. ॐ...
दुर्गा रुप निरन्जनी, सुख सम्पत्ति दाता.
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता. ॐ…
तुम पाताल निवासिनी, तुम ही शुभ दाता
कर्म प्रभाव प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता. ॐ...
जिस घर में तुम रहती, सब सद गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नही घबराता. ॐ...
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता.
खान - पान का वैभव, सब तुमसे आता. ॐ...
शुभ - गुण सुन्दर मंदिर, क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नही पाता. ॐ...
महालक्ष्मी जी की आरती. जो कोई जन गाता.
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता. ॐ...
SRI GANESH JI AARTI
आरती गणेश जी की
जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी. जय...
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया. जय...
हार चढ़े फ़ूल चढ़े और चढ़े मेवा. जय...
लड्डुअन का भोग लगे संत करें. सेवा
दीनन की लाज रखों शम्भु सुतवारी
सूर श्याम शरण आए सफ़ल कीजे सेवा
कामना को पूरा करो जग बलिहारी. जय...
SRI Hanuman JI AARTI
श्री हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति श्रीहनुमानारती ॥
Gayatri Mantra
गायत्री मंत
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
(Mummy, Pankaj, Anshu,
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