Dear Papa, November 18th, it's your Birthday, you're now 73 today.
Pandit ji will perform 'havan' today, and Anshu is preparing your favorite food and sooji ka halwa.
Happy Birthday! Papa
A heavenly happy birthday wish to sweetest and rarest man I knew, Papa happy birthday to you!I might not know the pains you went through to make us what we are.
But, what I know is that we all love you.
You are now in a place, where you won’t grow old. May God take care of you with love, and warmth. So here is wishing you a glittering happy birthday to you in heaven.
Happy Birthday Papa, We love you.
जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी. जय...
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया. जय...
हार चढ़े फ़ूल चढ़े और चढ़े मेवा. जय...
लड्डुअन का भोग लगे संत करें. सेवा
दीनन की लाज रखों शम्भु सुतवारी
सूर श्याम शरण आए सफ़ल कीजे सेवा
कामना को पूरा करो जग बलिहारी. जय...
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति श्रीहनुमानारती ॥
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ॥
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ॥
ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
(Mummy, Pankaj, Anshu, Deepak)
Vishnu ji |
Laxmi ji |
Brahma ji, Vishnu ji, Mahesh ji |
Shiv ji, Parvati ma, Ganesh ji |
Ram ji, Sita ma, Laxman ji, Hanuman ji |
A heavenly happy birthday wish to sweetest and rarest man I knew, Papa happy birthday to you!I might not know the pains you went through to make us what we are.
But, what I know is that we all love you.
You are now in a place, where you won’t grow old. May God take care of you with love, and warmth. So here is wishing you a glittering happy birthday to you in heaven.
Happy Birthday Papa, We love you.
Shirdi Sai Baba |
Vashino Devi ji |
Durga ma (Sher wali mata) |
SRI GANESH JI AARTI
आरती गणेश जी की
जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा
एक दन्त दयावन्त चार भुजा धारी
माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी. जय...
अंधन को आँख देत कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया. जय...
हार चढ़े फ़ूल चढ़े और चढ़े मेवा. जय...
लड्डुअन का भोग लगे संत करें. सेवा
दीनन की लाज रखों शम्भु सुतवारी
सूर श्याम शरण आए सफ़ल कीजे सेवा
कामना को पूरा करो जग बलिहारी. जय...
SRI Hanuman JI AARTI
श्री हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरिवर काँपे, रोग दोष जाके निकट न झाँके।
अंजनि पुत्र महा बलदायी, संतन के प्रभु सदा सहायी॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
दे बीड़ा रघुनाथ पठाये, लंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
लंका जारि असुर संघारे, सिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आन संजीवन प्राण उबारे ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
पैठि पाताल तोड़ि यम कारे, अहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संत जन तारे ॥ आरति कीजै हनुमान लला की ।
सुर नर मुनि जन आरति उतारे, जय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करती अंजना माई ॥ आरती कीजै हनुमान लला की ।
जो हनुमान जी की आरति गावे, बसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति श्रीहनुमानारती ॥
Shankar Ji Ki Aarti
शंकर जी की आरती
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा.
Ambe ji ki Aarti
अम्बे जी की आरती
जय अम्बे गौरी मैया जय मंगल मूर्ति ।
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
तुमको निशिदिन ध्यावत हरि ब्रह्मा शिव री ॥टेक॥
मांग सिंदूर बिराजत टीको मृगमद को ।
उज्ज्वल से दोउ नैना चंद्रबदन नीको ॥जय॥
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला कंठन पर साजै ॥जय॥
केहरि वाहन राजत खड्ग खप्परधारी ।
सुर-नर मुनिजन सेवत तिनके दुःखहारी ॥जय॥
कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती ।
कोटिक चंद्र दिवाकर राजत समज्योति ॥जय॥
शुम्भ निशुम्भ बिडारे महिषासुर घाती ।
धूम्र विलोचन नैना निशिदिन मदमाती ॥जय॥
चौंसठ योगिनि मंगल गावैं नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा अरू बाजत डमरू ॥जय॥
भुजा चार अति शोभित खड्ग खप्परधारी।
मनवांछित फल पावत सेवत नर नारी ॥जय॥
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती ।
श्री मालकेतु में राजत कोटि रतन ज्योति ॥जय॥
श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख-सम्पत्ति पावै ॥जय॥
Vishnu ji ki Aarti
ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट , दास जनों के संकट क्षण में दूर करें ,
ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे , दुख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का , सुख संपति घर आवे
स्वामी , सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे
माता पिता तुम मेरे , शरण पाऊँ मैं किसकी
स्वामी शरण पाऊँ मैं किसकी , तुम बिन और ना दूजा
प्रभु बिन और ना दूजा , आस करूँ मैं जिसकी
ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी , पर ब्रह्म परमेश्वर
स्वामी , पर ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी
ओम जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर , तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता , मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी , कृपा करो भरता
ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर , सब के प्राण पति
स्वामी सब के प्राण पति , किस विधि मिलूं गोसाईं
किस विधि मिलूं दयालु , तुम को मैं कुमति
ओम जय जगदीश हरे
दीन बंधु दुख हरता , ठाकुर तुम मेरे
स्वामी ठाकुर तुम मेरे , अपने हाथ उठाओ
अपनी शरन लगाओ , द्वार पड़ा हूं तेरे
ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा , श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
स्वामी , श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतों की सेवा
ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट , दास जनों के संकट
क्षण में दूर करें , ओम जय जगदीश हरे ||
भक्त जनों के संकट , दास जनों के संकट क्षण में दूर करें ,
ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे , दुख बिन से मन का
स्वामी दुख बिन से मन का , सुख संपति घर आवे
स्वामी , सुख संपति घर आवे, कष्ट मिटे तन का
ओम जय जगदीश हरे
माता पिता तुम मेरे , शरण पाऊँ मैं किसकी
स्वामी शरण पाऊँ मैं किसकी , तुम बिन और ना दूजा
प्रभु बिन और ना दूजा , आस करूँ मैं जिसकी
ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा , तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी , पर ब्रह्म परमेश्वर
स्वामी , पर ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी
ओम जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर , तुम पालन करता
स्वामी तुम पालन करता , मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी , कृपा करो भरता
ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर , सब के प्राण पति
स्वामी सब के प्राण पति , किस विधि मिलूं गोसाईं
किस विधि मिलूं दयालु , तुम को मैं कुमति
ओम जय जगदीश हरे
दीन बंधु दुख हरता , ठाकुर तुम मेरे
स्वामी ठाकुर तुम मेरे , अपने हाथ उठाओ
अपनी शरन लगाओ , द्वार पड़ा हूं तेरे
ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा
स्वामी पाप हरो देवा , श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ
स्वामी , श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतों की सेवा
ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे , स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट , दास जनों के संकट
क्षण में दूर करें , ओम जय जगदीश हरे ||
Sai Baba ki Aarti
साईं बाबा की आरती
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ।
चरणों के तेरे हम पुजारी साईं बाबा ॥
विद्या बल बुद्धि, बन्धु माता पिता हो
तन मन धन प्राण, तुम ही सखा हो
हे जगदाता अवतारे, साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साई बाबा ॥
ब्रह्म के सगुण अवतार तुम स्वामी
ज्ञानी दयावान प्रभु अंतरयामी
सुन लो विनती हमारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
आदि हो अनंत त्रिगुणात्मक मूर्ति
सिंधु करुणा के हो उद्धारक मूर्ति
शिरडी के संत चमत्कारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
भक्तों की खातिर, जनम लिये तुम
प्रेम ज्ञान सत्य स्नेह, मरम दिये तुम
दुखिया जनों के हितकारी साईं बाबा ।
आरती उतारे हम तुम्हारी साईं बाबा ॥
Gayatri Mantra
गायत्री मंत
ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
(Mummy, Pankaj, Anshu, Deepak)
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